उपास्थिल मछलियाँ (Chondrichthyes): समुद्र की धारदार शासक - परिचय
जलचर जगत (Marine World) अद्भुत और विविध जीवों का घर है। इनमें से एक रोचक समूह उपास्थिल मछलियाँ (Chondrichthyes) हैं, जिन्हें हम हिंदी में 'ह tulangी मछली' भी कह सकते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, इन मछलियों की कंकाल संरचना हड्डियों (bones) से नहीं बल्कि उपास्थि (cartilage) से बनी होती है। यह उन्हें हड्डी वाली मछलियों (Osteichthyes) से अलग करता है, जो जलचर जगत का एक प्रमुख समूह है।
इस लेख में, हम उपास्थिल मछलियों की गहराई से जांच करेंगे। हम उनकी शारीरिक विशेषताओं, विविधता, आवास, भोजन प्रणाली और प्रजनन शैली का पता लगाएंगे। साथ ही, हम उनके महत्व और वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा करेंगे।
शारीरिक विशेषताएं
उपास्थि कंकाल (Cartilaginous Skeleton): जैसा कि बताया गया है, उपास्थिल मछलियों की एक प्रमुख विशेषता उनकी उपास्थि से बनी कंकाल संरचना है। हड्डियों की तुलना में उपास्थि हल्की और अधिक लचीली होती है, जो उन्हें पानी में तेजी से गति करने में सक्षम बनाती है।
त्वचा (Skin): उपास्थिल मछलियों की त्वचा कठोर, दानेदार शल्क (placoid scales) से ढकी होती है। ये शल्क दांतों के समान इनेमल (enamel) पदार्थ से बने होते हैं और मछली को शिकारियों से बचाने में मदद करते हैं।
कड़े (Fins): उपास्थिल मछलियों में विभिन्न प्रकार के पंख होते हैं, जिनका उपयोग वे तैरने, संतुलन बनाने और पैंतरेबाजी करने के लिए करती हैं। पेक्टोरल फिन (छाती के पंख) और पैल्विक फिन (श्रोणि पंख) जोड़ीदार होते हैं, जबकि पृष्ठीय पंख (dorsal fin) और गुदा पंख (anal fin) अयुग्मित होते हैं।
गिल्स (Gills): उपास्थिल मछलियाँ पानी से ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए गलफड़ों (gills) का उपयोग करती हैं। गलफड़े उनके सिर के किनारों पर स्थित होते हैं और पानी से ऑक्सीजन को अवशोषित करने के लिए एक विशाल सतह क्षेत्र प्रदान करते हैं।
संवेदी अंग (Sensory Organs): उपास्थिल मछलियों में अच्छी तरह से विकसित संवेदी अंग होते हैं, जो उन्हें अपने वातावरण को महसूस करने में मदद करते हैं। इनमें दृष्टि के अंग (आंखें), गंध (घ्राण), स्वाद (रसना), संतुलन (अर्धवृत्ताकार नहरें) और विद्युत क्षेत्र का पता लगाने के अंग (लोरेन्जिनी शीशियां) शामिल हैं।
मुंह (Mouth): उपास्थिल मछलियों का मुंह उनके शरीर के नीचे स्थित होता है। उनके पास तेज दांत होते हैं, जिनका उपयोग वे भोजन को फाड़ने और पकड़ने के लिए करती हैं। कुछ प्रजातियों में, दांत निरंतर बढ़ते रहते हैं क्योंकि पुराने दांत टूट-फूट जाते हैं।
विविधता
उपास्थिल मछलियों का एक लंबा और विविध इतिहास रहा है। जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि वे लगभग 450 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर दिखाई दी थीं। आज, उपास्थिल मछलियों की लगभग 1000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें दो उपवर्गों में वर्गीकृत किया गया है:
एलास्मोब्रांचिई (Elasmobranchii): इस उपवर्ग में शार्क (Sharks), स्केट्स (Skates), और रे (Rays)
चोंड्रिकथीज़ मछलियाँ: उप-वर्गों
चोंड्रिकथीज़, जिन्हें कार्टिलेजिनस मछलियों के नाम से भी जाना जाता है, जबड़ों वाली मछलियों का एक वर्ग है जिनके पास हड्डियों के स्थान पर उपास्थि (कार्टिलेज) से बने कंकाल होते हैं. यह वर्ग समुद्री वातावरण में रहने वाली विभिन्न प्रकार की मछलियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें परिचित शार्क और किरणों के साथ-साथ कम ज्ञात किस्म की मछलियाँ भी शामिल हैं. चोंड्रिकथीज़ का एक लंबा जीवाश्म इतिहास है, जो 450 मिलियन से अधिक वर्ष पहले का है.
हालांकि चोंड्रिकथीज़ एक वर्ग के रूप में वर्गीकृत हैं, फिर भी उन्हें दो उप-वर्गों में विभाजित किया जाता है:
एलास्मोब्रांकी (Elasmobranchii):
- यह उप-वर्ग सबसे विविध और प्रचलित है, जिसमें शार्क, स्केट्स, किरणें और सॉफ़िश शामिल हैं.
- एलास्मोब्रांकी मछलियों की पहचान उनके पाँच से सात जोड़ी गलफली दरारों से होती है जो शरीर के किनारों पर खुलती हैं.
- उनके पास एक लचीली पृष्ठीय पंख होता है जो उन्हें पानी में गतिशीलता प्रदान करता है.
- उनके दांत कई पंक्तियों में होते हैं और लगातार झड़ते रहते हैं, उनके स्थान पर नये दांत उग आते हैं.
- शार्क इस उप-वर्ग के सबसे कुख्यात सदस्य हैं, जिनमें से कुछ प्रजातियाँ शीर्ष शिकारी के रूप में जानी जाती हैं.
होलोसेफाली (Holocephali):
- यह उप-वर्ग अपेक्षाकृत कम विविध है और इसमें केवल चार ज्ञात जीवित जातियाँ शामिल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से कैमरामछ (Chimaera) के नाम से जाना जाता है.
- होलोसेफाली मछलियों को उनके एकल पृष्ठीय पंख और निचले जबड़े की संरचना से पहचाना जा सकता है, जो आंशिक रूप से खोपड़ी से जुड़ा होता है (एलास्मोब्रांकी में यह स्वतंत्र होता है).
- ये गहरे समुद्र में रहने वाली मछलियाँ हैं जिनके बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखा जाना बाकी है.
एलास्मोब्रांकी (Elasmobranchii) का विस्तृत वर्णन:
एलास्मोब्रांकी उप-वर्ग को और उप-विभाजनों में वर्गीकृत किया जा सकता है, आइए इनमें से कुछ को देखें:
- शार्क (Selachii): शार्क एलास्मोब्रांकी उप-वर्ग के सबसे बड़े और विविध समूहों में से एक है. इनमें से कुछ प्रजातियाँ विशाल आकार की होती हैं, वहीं कुछ बहुत छोटी होती हैं. शार्क मुख्य रूप से मांसाहारी होते हैं और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उपास्थि मछली (Chondrichthyes): संकल्पनाओं का अवलोकन
उपास्थि मछली (Chondrichthyes), कशेरुकी प्राणियों का एक वर्ग है जिन्हें उनकी हड्डियों के स्थान पर उपास्थि (कठोर, लचीली हड्डी जैसा पदार्थ) कंकाल के कारण जाना जाता है. ये समुद्री जीव मुख्य रूप से शिकारी होते हैं और लाखों वर्षों से महासागरों में विचरण कर रहे हैं. शार्क, स्केट्स, किरण मछलियां और डॉव मछलियां उपास्थि मछली के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं.
शारीरिक विशेषताएं
कंकाल: उपास्थि मछली की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उपास्थि से बना उनका कंकाल है. हड्डियों की तुलना में उपास्थि हल्का और अधिक लचीला होता है, जो उन्हें पानी में तेजी से गति करने में सक्षम बनाता है.
त्वचा: उपास्थि मछली की त्वचा दांतों जैसी संरचनाओं, प्लेकोइड शल्कों (placoid scales) से ढकी होती है. ये शल्क पानी में तैरने में सहायक होते हैं और शिकारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
मुंह: उपास्थि मछली का मुंह उनके शरीर के नीचे की तरफ स्थित होता है. उनके पास शिकार को पकड़ने के लिए दांतेदार जबड़े होते हैं. दांत लगातार झड़ते रहते हैं और नए दांतों द्वारा उनकी जगह ले ली जाती है.
गिल्स: उपास्थि मछली पानी से ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए गलफड़ों का उपयोग करती हैं. गलफड़े उनके शरीर के किनारों पर स्थित होते हैं और पानी से ऑक्सीजन निकालने में मदद करते हैं.
पंख: उपास्थि मछली में विभिन्न प्रकार के पंख होते हैं. पेक्टोरल पंख (pectoral fins) शरीर के किनारों पर स्थित होते हैं और स्टीयरिंग में मदद करते हैं. पृष्ठीय पंख (dorsal fins) शरीर के पीछे स्थित होते हैं और उन्हें ऊपर नीचे होने में मदद करते हैं.
संवेदी अंग: उपास्थि मछली में अच्छी तरह से विकसित संवेदी अंग होते हैं. उनके पास गंध का पता लगाने के लिए एक संवेदी अंग (olfactory sac) होता है और उनके पास विद्युत क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लोरल विद्युतग्राही अंग (loreal electroreceptors) भी हो सकते हैं. कुछ प्रजातियों में विद्युत उत्पन्न करने के विशेष अंग भी होते हैं.
प्रजनन
उपास्थि मछली आंतरिक निषेचन द्वारा संतानोत्पत्ति करती हैं. नर मछली मादा के शरीर में शुक्राणु स्थानांतरित करने के लिए क्लैस्पर्स (claspers) नामक अंगों का उपयोग करते हैं. निषेचित अंडे मादा के शरीर के अंदर विकसित होते हैं. कुछ प्रजातियां अंडे देती हैं जिन्हें अंडकोष (egg case) द्वारा सुरक्षित रखा जाता है, जबकि अन्य जरायुज (viviparous) होती हैं, अर्थात वे जीवित संतानों को जन्म देती हैं.
Biology
वर्गीकरण
उपास्थि मछली वर्ग को उप-वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें से कुछ सबसे आम हैं:
एलास्मोब्रांचिई (Elasmobranchii): शार्क, स्केट्स और किरण मछलियां इस उप-वर्ग से संबंधित हैं. इन मछलियों में पाँच से सात तक गलफड़े होते हैं और उनकी पूंछ विषम (heterocercal) होती है, जिसका अर्थ है कि ऊपरी लोब निचले लोब से बड़ा होता है.
होलोसेफाली (Holocephali): रैटफिश (Ratfish) इस उप-वर्ग का एकमात्र जीवित उदाहरण है. इन मछलियों में गलफड़े के ढक्कन होते हैं
चोंड्रिचथीज़ मछलियों का इतिहास: 400 मिलियन वर्ष से भी अधिक का सफर
चोंड्रिचथीज़, जिन्हें हम उपास्थि मछली के नाम से भी जानते हैं, पृथ्वी के जलमंडलों में विचरण करने वाले सबसे प्राचीन जीवों में से एक हैं। इनका इतिहास 400 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुराना है, जो हमें पृथ्वी के प्राचीन वातावरण और जीवन के विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। आइए, हम इन आकर्षक मछलियों के इतिहास की गहराई में जाएं और उनके अतीत, वर्तमान और भविष्य को explore करें।
प्रारंभिक इतिहास (Devonian Period - 419-359 मिलियन वर्ष पूर्व)
चोंड्रिचथीज़ मछलियों का इतिहास डेवोनियन पीरियड (Devonian Period) से जुड़ा है, जो लगभग 419 से 359 मिलियन वर्ष पूर्व का समय था। इस दौरान, जबड़े वाली मछलियां (Gnathostomata) समुद्रों में अपना दबदबा बना रही थीं। चोंड्रिचथीज़ उसी समय लगभग 400 मिलियन वर्ष पूर्व समुद्र में उभरीं। इनका नाम "चोंड्र" (cartilage) और "इचथीस" (fish) शब्दों से मिलकर बना है, जो उनके हड्डियों के स्थान पर उपास्थि (cartilage) के कंकाल का संदर्भ देता है.
प्रारंभिक चोंड्रिचथीज़ मछलियां विविध और अजीब आकार की थीं। उनके पास हड्डियों के बजाय उपास्थि से बने कंकाल थे, जो हल्का और लचीला था। उनके दांत नुकीले और खुरदरे थे, जो उन्हें शिकार को पकड़ने और फाड़ने में मदद करते थे। उनके पास विद्युत संवेदी अंग भी थे, जिनका उपयोग वे अपने वातावरण को महसूस करने और शिकार का पता लगाने के लिए करते थे।
जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता है कि डेवोनियन पीरियड में कई तरह की प्रारंभिक चोंड्रिचथीज़ मछलियां मौजूद थीं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं:
प्लाकोडर्म्स (Placoderms): ये बख्तरबंद मछलियां थीं जिनके सिर और शरीर के सामने के हिस्से पर कठोर कवच था। ये डेवोनियन पीरियड की सबसे बड़ी मछलियों में से थीं, जिनकी लंबाई 10 मीटर तक हो सकती थी।
एकांथोडर्म्स (Acanthodians): ये छोटी, स्पाइनी मछलियां थीं जो शायद आधुनिक हड्डी वाली मछलियों के पूर्वज हैं। उनके पास नुकीले कांटे थे जो उनके शरीर को ढकते थे और शिकारियों से बचाव के रूप में काम आते थे।
हेटेरस्ट्रैकस (Heterostracans): ये अजीब दिखने वाली, चपटी मछलियां थीं जिनके सिर पर बड़े कवच थे। उनके शरीर लम्बी और पतली थीं, और उनकी आंखें उनके सिर के ऊपर स्थित थीं।
विविधीकरण और प्रभुत्व (Carboniferous Period - Permian Period - 359-252 मिलियन वर्ष पूर्व)
डेवोनियन पीरियड के अंत के बाद, कार्बोनिफेरस पीरियड (Carboniferous Period) और पर्मियन पीरियड (Permian Period) के दौरान (लगभग 359 से 252 मिलियन वर्ष पूर्व) चोंड्रिचथीज़ मछलियों का विविधीकरण हुआ। इस दौरान, कई नई प्रजातियां विकसित हुईं और समुद्रों में अपना वर्चस्व स्थापित किया। इनमें से कुछ प्रमुख समूह थे:
शार्क (Sharks): आधुनिक शार्क इसी समय के आसपास विकसित हुए।
जलचर जगत (Marine World) अद्भुत और विविध जीवों का घर है। इनमें से एक रोचक समूह उपास्थिल मछलियाँ (Chondrichthyes) हैं, जिन्हें हम हिंदी में 'ह tulangी मछली' भी कह सकते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, इन मछलियों की कंकाल संरचना हड्डियों (bones) से नहीं बल्कि उपास्थि (cartilage) से बनी होती है। यह उन्हें हड्डी वाली मछलियों (Osteichthyes) से अलग करता है, जो जलचर जगत का एक प्रमुख समूह है।
इस लेख में, हम उपास्थिल मछलियों की गहराई से जांच करेंगे। हम उनकी शारीरिक विशेषताओं, विविधता, आवास, भोजन प्रणाली और प्रजनन शैली का पता लगाएंगे। साथ ही, हम उनके महत्व और वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा करेंगे।
शारीरिक विशेषताएं
उपास्थि कंकाल (Cartilaginous Skeleton): जैसा कि बताया गया है, उपास्थिल मछलियों की एक प्रमुख विशेषता उनकी उपास्थि से बनी कंकाल संरचना है। हड्डियों की तुलना में उपास्थि हल्की और अधिक लचीली होती है, जो उन्हें पानी में तेजी से गति करने में सक्षम बनाती है।
त्वचा (Skin): उपास्थिल मछलियों की त्वचा कठोर, दानेदार शल्क (placoid scales) से ढकी होती है। ये शल्क दांतों के समान इनेमल (enamel) पदार्थ से बने होते हैं और मछली को शिकारियों से बचाने में मदद करते हैं।
कड़े (Fins): उपास्थिल मछलियों में विभिन्न प्रकार के पंख होते हैं, जिनका उपयोग वे तैरने, संतुलन बनाने और पैंतरेबाजी करने के लिए करती हैं। पेक्टोरल फिन (छाती के पंख) और पैल्विक फिन (श्रोणि पंख) जोड़ीदार होते हैं, जबकि पृष्ठीय पंख (dorsal fin) और गुदा पंख (anal fin) अयुग्मित होते हैं।
गिल्स (Gills): उपास्थिल मछलियाँ पानी से ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए गलफड़ों (gills) का उपयोग करती हैं। गलफड़े उनके सिर के किनारों पर स्थित होते हैं और पानी से ऑक्सीजन को अवशोषित करने के लिए एक विशाल सतह क्षेत्र प्रदान करते हैं।
संवेदी अंग (Sensory Organs): उपास्थिल मछलियों में अच्छी तरह से विकसित संवेदी अंग होते हैं, जो उन्हें अपने वातावरण को महसूस करने में मदद करते हैं। इनमें दृष्टि के अंग (आंखें), गंध (घ्राण), स्वाद (रसना), संतुलन (अर्धवृत्ताकार नहरें) और विद्युत क्षेत्र का पता लगाने के अंग (लोरेन्जिनी शीशियां) शामिल हैं।
मुंह (Mouth): उपास्थिल मछलियों का मुंह उनके शरीर के नीचे स्थित होता है। उनके पास तेज दांत होते हैं, जिनका उपयोग वे भोजन को फाड़ने और पकड़ने के लिए करती हैं। कुछ प्रजातियों में, दांत निरंतर बढ़ते रहते हैं क्योंकि पुराने दांत टूट-फूट जाते हैं।
विविधता
उपास्थिल मछलियों का एक लंबा और विविध इतिहास रहा है। जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि वे लगभग 450 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर दिखाई दी थीं। आज, उपास्थिल मछलियों की लगभग 1000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें दो उपवर्गों में वर्गीकृत किया गया है:
एलास्मोब्रांचिई (Elasmobranchii): इस उपवर्ग में शार्क (Sharks), स्केट्स (Skates), और रे (Rays)
चोंड्रिकथीज़ मछलियाँ: उप-वर्गों
चोंड्रिकथीज़, जिन्हें कार्टिलेजिनस मछलियों के नाम से भी जाना जाता है, जबड़ों वाली मछलियों का एक वर्ग है जिनके पास हड्डियों के स्थान पर उपास्थि (कार्टिलेज) से बने कंकाल होते हैं. यह वर्ग समुद्री वातावरण में रहने वाली विभिन्न प्रकार की मछलियों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें परिचित शार्क और किरणों के साथ-साथ कम ज्ञात किस्म की मछलियाँ भी शामिल हैं. चोंड्रिकथीज़ का एक लंबा जीवाश्म इतिहास है, जो 450 मिलियन से अधिक वर्ष पहले का है.
हालांकि चोंड्रिकथीज़ एक वर्ग के रूप में वर्गीकृत हैं, फिर भी उन्हें दो उप-वर्गों में विभाजित किया जाता है:
एलास्मोब्रांकी (Elasmobranchii):
यह उप-वर्ग सबसे विविध और प्रचलित है, जिसमें शार्क, स्केट्स, किरणें और सॉफ़िश शामिल हैं.
एलास्मोब्रांकी मछलियों की पहचान उनके पाँच से सात जोड़ी गलफली दरारों से होती है जो शरीर के किनारों पर खुलती हैं.
उनके पास एक लचीली पृष्ठीय पंख होता है जो उन्हें पानी में गतिशीलता प्रदान करता है.
उनके दांत कई पंक्तियों में होते हैं और लगातार झड़ते रहते हैं, उनके स्थान पर नये दांत उग आते हैं.
शार्क इस उप-वर्ग के सबसे कुख्यात सदस्य हैं, जिनमें से कुछ प्रजातियाँ शीर्ष शिकारी के रूप में जानी जाती हैं.
होलोसेफाली (Holocephali):
यह उप-वर्ग अपेक्षाकृत कम विविध है और इसमें केवल चार ज्ञात जीवित जातियाँ शामिल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से कैमरामछ (Chimaera) के नाम से जाना जाता है.
होलोसेफाली मछलियों को उनके एकल पृष्ठीय पंख और निचले जबड़े की संरचना से पहचाना जा सकता है, जो आंशिक रूप से खोपड़ी से जुड़ा होता है (एलास्मोब्रांकी में यह स्वतंत्र होता है).
ये गहरे समुद्र में रहने वाली मछलियाँ हैं जिनके बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखा जाना बाकी है.
एलास्मोब्रांकी (Elasmobranchii) का विस्तृत वर्णन:
एलास्मोब्रांकी उप-वर्ग को और उप-विभाजनों में वर्गीकृत किया जा सकता है, आइए इनमें से कुछ को देखें:
शार्क (Selachii): शार्क एलास्मोब्रांकी उप-वर्ग के सबसे बड़े और विविध समूहों में से एक है. इनमें से कुछ प्रजातियाँ विशाल आकार की होती हैं, वहीं कुछ बहुत छोटी होती हैं. शार्क मुख्य रूप से मांसाहारी होते हैं और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उपास्थि मछली (Chondrichthyes): संकल्पनाओं का अवलोकन
उपास्थि मछली (Chondrichthyes), कशेरुकी प्राणियों का एक वर्ग है जिन्हें उनकी हड्डियों के स्थान पर उपास्थि (कठोर, लचीली हड्डी जैसा पदार्थ) कंकाल के कारण जाना जाता है. ये समुद्री जीव मुख्य रूप से शिकारी होते हैं और लाखों वर्षों से महासागरों में विचरण कर रहे हैं. शार्क, स्केट्स, किरण मछलियां और डॉव मछलियां उपास्थि मछली के कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं.
शारीरिक विशेषताएं
कंकाल: उपास्थि मछली की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उपास्थि से बना उनका कंकाल है. हड्डियों की तुलना में उपास्थि हल्का और अधिक लचीला होता है, जो उन्हें पानी में तेजी से गति करने में सक्षम बनाता है.
त्वचा: उपास्थि मछली की त्वचा दांतों जैसी संरचनाओं, प्लेकोइड शल्कों (placoid scales) से ढकी होती है. ये शल्क पानी में तैरने में सहायक होते हैं और शिकारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
मुंह: उपास्थि मछली का मुंह उनके शरीर के नीचे की तरफ स्थित होता है. उनके पास शिकार को पकड़ने के लिए दांतेदार जबड़े होते हैं. दांत लगातार झड़ते रहते हैं और नए दांतों द्वारा उनकी जगह ले ली जाती है.
गिल्स: उपास्थि मछली पानी से ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए गलफड़ों का उपयोग करती हैं. गलफड़े उनके शरीर के किनारों पर स्थित होते हैं और पानी से ऑक्सीजन निकालने में मदद करते हैं.
पंख: उपास्थि मछली में विभिन्न प्रकार के पंख होते हैं. पेक्टोरल पंख (pectoral fins) शरीर के किनारों पर स्थित होते हैं और स्टीयरिंग में मदद करते हैं. पृष्ठीय पंख (dorsal fins) शरीर के पीछे स्थित होते हैं और उन्हें ऊपर नीचे होने में मदद करते हैं.
संवेदी अंग: उपास्थि मछली में अच्छी तरह से विकसित संवेदी अंग होते हैं. उनके पास गंध का पता लगाने के लिए एक संवेदी अंग (olfactory sac) होता है और उनके पास विद्युत क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लोरल विद्युतग्राही अंग (loreal electroreceptors) भी हो सकते हैं. कुछ प्रजातियों में विद्युत उत्पन्न करने के विशेष अंग भी होते हैं.
प्रजनन
उपास्थि मछली आंतरिक निषेचन द्वारा संतानोत्पत्ति करती हैं. नर मछली मादा के शरीर में शुक्राणु स्थानांतरित करने के लिए क्लैस्पर्स (claspers) नामक अंगों का उपयोग करते हैं. निषेचित अंडे मादा के शरीर के अंदर विकसित होते हैं. कुछ प्रजातियां अंडे देती हैं जिन्हें अंडकोष (egg case) द्वारा सुरक्षित रखा जाता है, जबकि अन्य जरायुज (viviparous) होती हैं, अर्थात वे जीवित संतानों को जन्म देती हैं.
वर्गीकरण
उपास्थि मछली वर्ग को उप-वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें से कुछ सबसे आम हैं:
एलास्मोब्रांचिई (Elasmobranchii): शार्क, स्केट्स और किरण मछलियां इस उप-वर्ग से संबंधित हैं. इन मछलियों में पाँच से सात तक गलफड़े होते हैं और उनकी पूंछ विषम (heterocercal) होती है, जिसका अर्थ है कि ऊपरी लोब निचले लोब से बड़ा होता है.
होलोसेफाली (Holocephali): रैटफिश (Ratfish) इस उप-वर्ग का एकमात्र जीवित उदाहरण है. इन मछलियों में गलफड़े के ढक्कन होते हैं